Sikandar Ka Muqaddar: वेलकम करो नीरज पांडे फिर से सस्पेंस थ्रिलर मिस्ट्री की दुनिया में कमबैक कर रहे हैं सिकंदर का मुकद्दर के साथ जिसने पहले भी “बेबी” और “स्पेशल 26” जैसी टॉप क्वालिटी, सस्पेंस और थ्रिल से भरी फिल्में बनाई थीं।
Summary of Sikandar Ka Muqaddar:
कहानी 15 साल पीछे 2009 में शुरू होती है एक बड़ा सा इवेंट है जिसमें शहर के बड़े-बड़े हीरे माने डायमंड्स को एक साथ सजा के रखा गया है फिर आता है एक फोन कॉल पुलिस के पास मुंबई शहर की सबसे बड़ी चोरी रोकने के लिए।
चमचमाते हीरे अब खतरे में हैं और कमाल की बात जानते हैं जिन चोरों के बारे में पुलिस को एबी सीडी कुछ नहीं पता उल्टा वो पुलिस पर पीएचडी करके आए हैं।
चोर स्वागत के लिए साथ में ak47 बंदूक लेकर आए हैं फिर वही होता है जिस बात का डर था हीरे गायब हैं लेकिन हैरानी वाली बात ये है कि चोरों की लाश यहीं पड़ी है और हीरे कोई और ले गया है। जिसने भी यह काम किया है? उसका का बैंक बैलेंस 2009 में पूरे 50-60 करोड़ तक जाने वाला है।
अब मिलिए कहानी के बाप से वो ऑफिसर जिसका रिकॉर्ड है 100% सक्सेस रेट माने चोरी करने वाले लोगों के सपनों में यमराज की जगह इनका चेहरा दिखता है बट दोस्त घमंड तो रावण का भी अच्छा नहीं था शायद इसीलिए 15 साल बाद 2024 में भी ऑफिसर साहब खाली हाथ बैठे हैं ना तो हीरा मिला ना ही चोर।
Movie review:-
स्टोरी वो नहीं है जो दिखाई जा रही है वो है जो छुपाई जा रही है। बेहतरीन काम यह किया कि कास्ट में सब नॉर्मल लोग हैं अब कोई SRK ya सलमान ya अक्षय होगा तो पहले से ही शक हो जाएगा ना कि इस कहानी का मास्टर माइंड तो यही है।
गाना बजाना इस फिल्म में ज्यादा है नहीं। पूरे ढाई घंटे फोकस सिर्फ कहानी गोल-गोल घुमाने में है।
तमन्ना को देखकर काफी लोग स्त्री टू की यादों में वापस लौट गए होंगे बट ये फिल्म उस लेवल की है जिसने बार्बी डॉल तमन्ना को भी एनाबेल जैसा बना दिया वैसे भी जिस फिल्म में जिम्मी शेरगिल हो उसकी कहानी इतनी आसान और सीधी साधी नहीं हो सकती। लास्ट के 15 मिनट साबित कर देंगे कि बॉलीवुड में सस्पेंस आज भी जिंदा है।